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Monday, August 20, 2007
२१-१-२००७
फरेब थी हँसी में, आशिकी समझ बैठे,
मौत को ही अपनी जिन्दगी समझ बैठे।
वक्त का मज़ाक था या बदनसीबी हमारी,
हम तुझे अपना प्यार समझ बैठे॥
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