Monday, August 20, 2007

२३-१-२००७

टूटे हुए को पनाह कहाँ मिलती है,
भूलें हुए को राह कहाँ मिलती है।
ताजमहल तो सब बनवाना चाहते हैं,
पर सब को मुमताज कहाँ मिलती है॥